वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक shiv chalisa in hindi विभीषण दीन्हा॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
लिङ्गाष्टकम्